हिमाचल प्रदेश के ग्लेशियर (Himachal Pradesh ke gleshiar)
हिमाचल प्रदेश के हिमालयी क्षेत्र के हिमनद लगातार सिकुड़ रहे है | ग्लेशियरों के सिकुड़ने की वजह से निचले क्षेत्रों में पहाड़ों की अपेक्षा तापमान कम होता जा रहा है,वही दूसरी ओर पहाड़ों में बर्फबारी के कम होने से नदियों के जल स्तर में कमी आ रही है | ग्लोबल वार्मिग की वजह से ग्लेशियरों के सिकुड़ने के साथ-साथ मौसम का मिजाज भी बदल रहा है |
प्रदेश में बर्फबारी आम तौर पर दिसम्बर महीने में होती थी, अगर इस समय देखा जाए जो चोटियां बर्फ से ढकी रहने वाली वो अब जनवरी में भी खाली रहती है | वैज्ञानिको का मानना है कि क्षेत्रीय जलवायु में हो रहा परिवर्तन तथा ग्लोबल वार्मिग की वजह से ही हिमनद सिकुड़ रहें है | ग्लेशियरों के सिकुड़ने से राज्य की विद्युत उत्पादन का आंकलन भी गड़बड़ा सकता है |
जहां एक ओर हिमनद तेजी से सिकुड़ रहे है, वही दूसरी ओर झीलों में विस्तार होता जा रहा है | विज्ञान और तकनीकी परिषद् ने हिमखंडों से बनने वाली 38 झीलों को लेकर अध्ययन किया | इनमें से 14 झीलें हिमाचल प्रदेश में स्थित है | इस अध्ययन से पता चलता है कि लाहौल स्पीति की गेफांग ग्लेशियर झील 1976 के मुकाबले 0.27 वर्ग किलोमीटर फैल चुकी है |
प्रसिद्ध ग्लेशियर(Famous gleshiar) :—
(1) लाहौल का बड़ा शिगड़ी ग्लेशियर:—
इस हिमनद से चन्द्रा नदी को पानी मिलता है | हिमाचल प्रदेश का सबसे बड़ा ग्लेशियर (हिमनद) है जिसकी लम्बाई 25 किलोमीटर तथा चौड़ाई लगभग 3 किलोमीटर है | बड़ा शिगड़ी ग्लेशियर का पूरा क्षेत्र बंजर तथा बिना किसी प्राकृतिक उपज के है |
बताया जाता है कि वर्ष 1936 में इस हिमनद ने भारी नुकसान किया था, जिससे चंद्रताल झील का निर्माण हुआ था | वर्ष 1956 ने कुछ महिला पर्वतरोहियों ने इस पर फतह हासिल की थी, वर्ष 1958 में स्टीफेंन्सन तथा वर्ष 1970 में मेजर बलजीत सिंह ने बड़ा शिगड़ी हिमनद पर सफलतापूर्वक भ्रमण किया
चन्द्रा घाटी के अन्य हिमनद छोटा शिगडी, पाचा, कुल्टी, शिपतिंग, तापन, गेफांग, शिल्ली तथा शामुद्री | गेफेंग ग्लेशियर नामकरण लाहौल घाटी के सुप्रसिद्ध देवता गेफेंग पर किया गया है | गेफेंग चोटी स्विट्जरलैंड की मैटरहौरन चोटी से मेल खाती है,जो पूरे वर्ष बर्फ से ढकी रहती है | हिमाचल प्रदेश में स्थानीय लोग इसे लाहौल घाटी का मणिमहेश भी कहते हैं |
(2) भादल ग्लेशियर :—
भादल हिमनद पीरपंजाल श्रृंखला की दक्षिण–पश्चिम ढलान पर जिला कांगड़ा के बड़ा भंगाल क्षेत्र में स्थित है | इसी हिमनद से भादल नदी को पानी मिलता है जो रावी नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी मानी जाती है | शरद ऋतु में भारी बर्फबारी के कारण ये हिमनद अपना बड़ा आकार बना लेता है, जबकि ग्रीष्म ऋतु में यहां तक चरवाहे आसानी से पहुंच जाते है |
(3) चन्द्रा ग्लेशियर :—
यह हिमनद हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति जिले में स्थित है | इस हिमनद के कारण ही चंद्रताल झील का निर्माण हुआ है और यह ग्लेशियर ‘बड़ा शिगड़ी’ से ही अलग हुआ है | यह हिमनद चन्द्रा व भागा नदियों को पानी देता है जो मिलकर चिनाव नदी का निर्माण करती हैं|
(4) भागा ग्लेशियर :—
यह हिमनद भी हिमाचल के लाहौल स्पीति जिले में स्थित है | इस ग्लेशियर से भागा नदी का प्रारम्भ होता है | इस हिमनद के चारों ओर बर्फ से ढकी ऊंची ऊंची चोटियां हैं | इस हिमनद पर पहुंचने के लिए लाहौल स्पीति में कोकसर और तांडी का रास्ता अपनाया जाता है | इसकी लम्बाई लगभग 25 किलोमीटर है. भागा घाटी के प्रमुख हिमनद है मिलांग, मुक्किला, लेडी ऑफ केलांग तथा गेंगस्तांग |
(5) चंद्रनाहन ग्लेशियर :—
चंद्रनाहन हिमनद मुख्य हिमालय के दक्षिण पूर्व की ढलान में जिला शिमला के रोहडू क्षेत्र के उत्तर–पश्चिम में स्थित है | यह हिमनद पब्बर नदी को पानी देता है | इस ग्लेशियर के साथ कई अन्य छोटे छोटे ग्लेशियर जुड़े हुए है इस ग्लेशियर के नजदीक चंद्रनाहन झील भी स्थित है | इस हिमनद के चारों ओर बर्फ से भरी हुई ऊंची ऊंची चोटियां हैं जिनकी ऊंचाई लगभग 6000 मीटर या उससे अधिक है |
(6) ‘केलांग की महिला’ ग्लेशियर :—
यह हिमनद लगभग 6060 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है तथा केलांग कस्बे से आसानी से देखा जा सकता है | यह हिमनद सैलानियों में काफी लोकप्रिय है |
इसका नामकरण ‘द लेडी ऑफ केलांग’ अंग्रेजी महिला लेडी एलशेनदे के द्वारा लगभग सौ वर्ष पूर्व (19वीं शताब्दी में) अंग्रेजी शासन के समय किया गया था | यह हिमनद वर्ष भर बर्फ से ढका रहता है | वर्ष के मध्य काल में कुछ बर्फ पिघलने पर इसकी आकृति एक महिला की तरह दिखाई देती है, जो अपने पीठ पर भार उठाए हुए हो |
(7) गोरा ग्लेशियर :—
हिमाचल प्रदेश के मुख्य हिमालय की दक्षिण मुख्य ढलान पर यह हिमनद स्थित है | भारी जनसंख्या दबाव तथा बदलते मौसम के कारण यह ग्लेशियर काफी हद तक सिकुड़ गया है |
(8) मुक्किला ग्लेशियर :—
भागा घाटी में यह हिमनद लगभग 6476 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है |
(9)सोनापानी ग्लेशियर:—
यह हिमनद कुल्टी नाला के संगम से लगभग 5.30 किलोमीटर दूर है, सोनापानी हिमनद रोहतांग दर्रे से साफ दिखाई देता है |
(10) दुधोन और पार्वती ग्लेशियर :—
दुधोन और पार्वती हिमनद जो पार्वती नदी को पानी देते है तथा लम्बाई में प्रत्येक 15 किलोमीटर है, और हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में स्थित है |
(11) पिराड़ ग्लेशियर :—
पिराड़ हिमनद छोटा तथा आसान पहुंच में पुतिरूणी के नजदीक स्थित है | पिराड़ का स्थानीय भाषा में अर्थ है— ‘टूटी हुई चट्टान’, जिसकी एक सुंदर गुफा बनी हो |
(12) मियार ग्लेशियर :—
मियार हिमनद जो मियार नदी को पानी प्रदान करता है | इसकी लम्बाई लगभग 12 किलोमीटर तक है | यह लाहौल घाटी में स्थित है |
(13) व्यास कुण्ड ग्लेशियर :—
यह हिमनद व्यास नदी को जल प्रदान करता है तथा पीरपंजाल श्रृंखला की दक्षिण ढलान पर विश्व प्रसिद्ध रोहतांग दर्रे के नजदीक स्थित है |
हिमाचल प्रदेश का सबसे बड़ा हिमनद कोन सा है ?
बड़ा शिगड़ी इस हिमनद से चन्द्रा नदी को पानी मिलता है | हिमाचल प्रदेश का सबसे बड़ा ग्लेशियर (हिमनद) है जिसकी लम्बाई 25 किलोमीटर तथा चौड़ाई लगभग 3 किलोमीटर है |
द लेडी ऑफ केलांग किसके नाम पर रखा गया है ?
इसका नामकरण ‘द लेडी ऑफ केलांग’ अंग्रेजी महिला लेडी एलशेनदे के द्वारा लगभग सौ वर्ष पूर्व (19वीं शताब्दी में) अंग्रेजी शासन के समय किया गया था |
मियार नदी को किस हिमनद से पानी मिलता है ?
मियार हिमनद जो मियार नदी को पानी प्रदान करता है | इसकी लम्बाई लगभग 12 किलोमीटर तक है | यह लाहौल घाटी में स्थित है |
चंद्रनाहन झील कौन से जिले में है ?
चंद्रनाहन हिमनद मुख्य हिमालय के दक्षिण पूर्व की ढलान में जिला शिमला के रोहडू क्षेत्र के उत्तर–पश्चिम में स्थित है | यह ग्लेशियर पब्बर नदी को पानी देता है | इस हिमनद के साथ कई अन्य छोटे छोटे ग्लेशियर जुड़े हुए है इस हिमनद के नजदीक चंद्रनाहन झील भी स्थित है |
ब्यास कुण्ड हिमनद किस नदी को पानी देता है ?
यह हिमनद व्यास नदी को जल प्रदान करता है तथा पीरपंजाल श्रृंखला की दक्षिण ढलान पर विश्व प्रसिद्ध रोहतांग दर्रे के नजदीक स्थित है |