Biography Of Abdul Kalam Sahab(1931-2015)

डॉ. अबुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम, जिन्हें आदरपूर्वक “मिसाइल मैन” और “जनता के राष्ट्रपति” के नाम से जाना जाता है, का जीवन असाधारण रूप से प्रेरणादायक है। उनके जीवन की कहानी संघर्ष, संकल्प, और साधारण से असाधारण बनने की एक महान गाथा है। एक साधारण परिवार में जन्म लेने वाले इस महान व्यक्तित्व ने न केवल भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया, बल्कि अपने सरल, विनम्र और प्रेरणादायक व्यक्तित्व से पूरे देश का दिल जीता।

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Abdul Kalam Sahab

डॉ. ए.पी.जे. Abdul Kalam का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक मध्यमवर्गीय मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनके पिता, जैनुलाब्दीन मराकयर, एक नाविक थे, और माँ, आशियम्मा, एक गृहिणी थीं। उनका परिवार आर्थिक रूप से संपन्न नहीं था, लेकिन उनकी शिक्षा और चरित्र निर्माण में उनके परिवार ने विशेष रूप से ध्यान दिया।

डॉ. कलाम ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा रामेश्वरम एलीमेंटरी स्कूल में प्राप्त की। बाल्यकाल से ही वे एक कुशाग्र बुद्धि के छात्र थे और विज्ञान और गणित में उनकी विशेष रुचि थी। उन्होंने अपनी माध्यमिक शिक्षा श्वार्ट्ज हाई स्कूल, रामनाथपुरम से पूरी की। उनके शिक्षक और माता-पिता ने उन्हें हमेशा शिक्षा के महत्व को समझाया, और उन्होंने अपनी शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। इसके बाद, उन्होंने सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली से भौतिक विज्ञान में स्नातक किया और फिर मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की।

डॉ. कलाम का करियर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) से जुड़ने के साथ ही एक नया मोड़ लिया। 1962 में उन्होंने ISRO में कदम रखा और अपनी वैज्ञानिक यात्रा शुरू की। उन्होंने SLV-III परियोजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण वाहन था। 1980 में, उनकी अध्यक्षता में रोहिणी उपग्रह को सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया। यह भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था और डॉ. कलाम के नेतृत्व में भारत ने आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया।

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ISRO में अपनी सफलता के बाद, डॉ. कलाम ने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) में अपने योगदान से देश की रक्षा क्षमताओं को मजबूती प्रदान की। उन्होंने भारत के मिसाइल विकास कार्यक्रम का नेतृत्व किया, जिसके अंतर्गत पृथ्वी, अग्नि, त्रिशूल, आकाश और नाग जैसी मिसाइलों का विकास हुआ। उनके नेतृत्व में भारत ने मिसाइल प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता प्राप्त की और वैश्विक स्तर पर अपनी रक्षा क्षमताओं को सिद्ध किया।

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डॉ. कलाम की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक 1998 का पोखरण-II परमाणु परीक्षण था। उन्होंने इस गुप्त मिशन को वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में सफलतापूर्वक अंजाम दिया। इस परीक्षण ने भारत को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों की श्रेणी में शामिल कर दिया और देश की सुरक्षा और रणनीतिक स्थिति को मजबूत किया। यह एक ऐसी सफलता थी जिसने डॉ. कलाम को देश का नायक बना दिया।

2002 में, डॉ. ए.पी.जे. Abdul Kalam भारत के 11वें राष्ट्रपति बने। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान ‘जनता के राष्ट्रपति’ के रूप में पहचान बनाई। उनका सरल और विनम्र व्यक्तित्व, जो हमेशा ज्ञान और विज्ञान को प्राथमिकता देता था, उन्हें जनता के बीच बेहद लोकप्रिय बना दिया। उन्होंने राष्ट्रपित के रूप में कार्य करते हुए भी अपने वैज्ञानिक और शैक्षणिक कार्यों को जारी रखा और हमेशा युवाओं को प्रेरित किया। उनके विचार और दृष्टिकोण ने शिक्षा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नए मानदंड स्थापित किए।

राष्ट्रपति पद से निवृत्त होने के बाद, डॉ. कलाम ने शिक्षण के क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभाई। वे भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) शिलॉंग, अहमदाबाद और इंदौर में विजिटिंग प्रोफेसर रहे। इसके अलावा, उन्होंने अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्नई में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर के रूप में भी सेवाएँ दीं। डॉ. कलाम की शिक्षण शैली और उनके प्रेरणादायक विचारों ने लाखों छात्रों के जीवन में बदलाव लाया।

डॉ. कलाम एक प्रख्यात लेखक भी थे। उन्होंने कई प्रेरणादायक पुस्तकों की रचना की, जिनमें ‘विंग्स ऑफ फायर’, ‘इंडिया 2020’, ‘इग्नाइटेड माइंड्स’, ‘माय जर्नी’, और ‘टर्निंग पॉइंट्स’ जैसी पुस्तकों का नाम उल्लेखनीय है। उनकी लेखनी में उनके जीवन के अनुभव, विचार, और भारत के भविष्य के प्रति उनकी दृष्टि का समावेश है। उनकी पुस्तकें आज भी युवाओं को प्रेरित करती हैं और उन्हें अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित करती हैं।

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डॉ. ए.पी.जे. Abdul Kalam को उनके अपार योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों और सम्मानों से सम्मानित किया गया। उन्हें 1981 में पद्म भूषण, 1990 में पद्म विभूषण, और 1997 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, उन्हें कई विश्वविद्यालयों द्वारा मानद डॉक्टरेट की उपाधि भी दी गई। उनकी उपलब्धियाँ और योगदान न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सम्मानित किए गए।

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27 जुलाई 2015 को, डॉ. ए.पी.जे. Abdul Kalam का आईआईएम शिलॉंग में व्याख्यान देते समय आकस्मिक निधन हो गया। उनका निधन न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक अपूरणीय क्षति थी। लेकिन उनका जीवन और उनके विचार आज भी जीवित हैं और लाखों लोगों के जीवन को प्रेरित कर रहे हैं।

डॉ. कलाम का जीवन एक प्रेरणास्रोत है। उन्होंने हमें यह सिखाया कि किसी भी परिस्थिति में, कठिन परिश्रम, समर्पण और दृढ़ संकल्प से हम अपने सपनों को साकार कर सकते हैं। उन्होंने अपने जीवन में जिन मूल्यों को अपनाया, वे आज भी हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनकी विज्ञान, प्रौद्योगिकी और शिक्षा के क्षेत्र में उपलब्धियाँ और उनके विचार हमें एक उज्जवल भविष्य की ओर मार्गदर्शन करते हैं।

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डॉ. कलाम का जीवन हमें एक महत्वपूर्ण संदेश देता है कि कैसे एक साधारण पृष्ठभूमि का व्यक्ति असाधारण ऊँचाइयों तक पहुँच सकता है। उन्होंने हमेशा युवाओं को शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रति प्रेरित किया। उनके विचारों में यह स्पष्ट था कि वे एक ऐसे भारत का सपना देखते थे, जो न केवल तकनीकी दृष्टि से आत्मनिर्भर हो, बल्कि नैतिक और सांस्कृतिक रूप से भी समृद्ध हो।

उन्होंने कहा था, “सपने वे नहीं जो हम सोते समय देखते हैं, सपने वे हैं जो हमें सोने नहीं देते।” यह कथन उनके जीवन के उद्देश्यों और उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रतीक है। उनके विचार और उनके कार्य हमें हमेशा प्रेरित करते रहेंगे और हमें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए निरंतर प्रयासरत रहने के लिए प्रेरित करेंगे।a

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डॉ. ए.पी.जे. Abdul Kalam का जीवन एक ऐसी गाथा है, जो संघर्ष, समर्पण और उत्कृष्टता की मिसाल है। उन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत को एक नई दिशा दी और देश को आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर किया। उनके जीवन का हर क्षण प्रेरणा और शिक्षा से परिपूर्ण है। उनकी सोच और दृष्टिकोण ने न केवल भारत को बल्कि पूरी दुनिया को प्रेरित किया है। वे एक सच्चे नेता, वैज्ञानिक, शिक्षक और सबसे बढ़कर, एक महान इंसान थे। उनके विचार और उनकी दृष्टि हमें सदैव प्रेरित करती रहेगी और हमें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए निरंतर प्रयासरत रहने के लिए प्रेरित करती रहेगी।

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